खाली आपल्याला Shardiya Navratri 9 देवी 9 आरत्या आरत्या दिल्या आहेत
दिवस 1 देवी शैळपुत्रि : Shardiya Navratri
॥ आरती देवी शैलपुत्री जी की ॥ navratri aarti
शैलपुत्री माँ बैल असवार।करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी।तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें।जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू।दया करें धनवान करें तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी।आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो।सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के।गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें।प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे।शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो।चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥
दिवस 2 देवी ब्रम्हचारिणी : Shardiya Navratri navratri aarti
॥ आरती देवी ब्रह्मचारिणी जी की ॥
जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता।जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥
ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा।जिसको जपे सरल संसारा॥
जय गायत्री वेद की माता।जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥
कमी कोई रहने ना पाए।कोई भी दुख सहने न पाए॥
उसकी विरति रहे ठिकाने।जो तेरी महिमा को जाने॥
रद्रक्षा की माला ले कर।जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर॥
आलस छोड़ करे गुणगाना।माँ तुम उसको सुख पहुँचाना॥
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।पूर्ण करो सब मेरे काम॥
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।रखना लाज मेरी महतारी॥
दिवस 3 देवी चंदरघंटा आरती : Shardiya Navratri | navratri aarti
॥ आरती देवी चन्द्रघण्टा जी की ॥
जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो।चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥
शीश झुका कहे मन की बाता।पूर्ण आस करो जगत दाता॥
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥
नाम तेरा रटू महारानी।भक्त की रक्षा करो भवानी॥
माळ 4 देवी कुशमांडा आरती : Shardiya Navratri navratri aarti
॥ आरती देवी कूष्माण्डा जी की ॥
कूष्माण्डा जय जग सुखदानी।मुझ पर दया करो महारानी॥
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली।शाकम्बरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
माळ 5 स्कंद माता आरती : Shardiya Navratri
॥ आरती देवी स्कन्दमाता जी की ॥
जय तेरी हो स्कन्द माता।पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी।जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहूं मैं।हरदम तुझे ध्याता रहूं मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा।मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाड़ों पर है डेरा।कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मन्दिर में तेरे नजारे।गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इन्द्र आदि देवता मिल सारे।करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।तू ही खण्ड हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी।भक्त की आस पुजाने आयी॥
दिवस 6 देवी कात्यायनी :Shardiya Navratri
॥ आरती देवी कात्यायनी जी की ॥
जय जय अम्बे जय कात्यायनी।जय जग माता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।वहावर दाती नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम है।यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी।कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते।हर मन्दिर में भगत है कहते॥
कत्यानी रक्षक काया की।ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुडाने वाली।अपना नाम जपाने वाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करिए।ध्यान कात्यानी का धरिये॥
हर संकट को दूर करेगी।भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी माँ को भक्त पुकारे।कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
दिवस 7 देवी कलरात्री : Shardiya Navratri
॥ आरती देवी कालरात्रि जी की ॥
कालरात्रि जय जय महाकाली।काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।महाचंडी तेरा अवतारा॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।महाकाली है तेरा पसारा॥
खड्ग खप्पर रखने वाली।दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा।कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी।ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवे।महाकाली माँ जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।कालरात्रि माँ तेरी जय॥
दिवस 8 देवी महागौरी : Shardiya Navratri | navratri aarti
॥ आरती देवी महागौरी जी की ॥
जय महागौरी जगत की माया।जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे।जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता।कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया।उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया।शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
दिवस 9 देवी सिद्धिदात्री : Shardiya Navratri navratri aarti
॥ आरती देवी सिद्धिदात्री जी की ॥
जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता।तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
तू सब काज उसके करती है पूरे।कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥
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दुर्गा माता आरती : Shardiya Navratri durga aarti
दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी
वारी, वारी, जन्म-मरणाते वारी
हारी पडलो आता संकट निवारी
जय देवी, जय देवी महिषासुरमर्दिनी
सुरवर, ईश्वर वरदे तारक संजीवनी
जय देवी, जय देवी महिषासुरमर्दिनी
सुरवर, ईश्वर वरदे तारक संजीवनी
जय देवी, जय देवी…
त्रिभुवन भुवनी पहाता तुज ऐसे नाही
चारी श्रमले, परंतु न बोलवे काही
साही विवाद करीता पडलो प्रवाही
ते तू भक्तालागी पावसी लवलाही
जय देवी, जय देवी महिषासुरमर्दिनी
सुरवर, ईश्वर वरदे तारक संजीवनी
जय देवी, जय देवी…
प्रसन्नवदने प्रसन्न होसी निजदासा
क्लेशापासुन सोडी तोडी भवपाशा
अंबे तुजवाचून कोण पुरवीन आशा?
नरहरी तल्लीन झाला पदपंकजलेशा
जय देवी, जय देवी महिषासुरमर्दिनी
सुरवर, ईश्वर वरदे तारक संजीवनी
जय देवी, जय देवी महिषासुरमर्दिनी
सुरवर, ईश्वर वरदे तारक संजीवनी
जय देवी, जय देवी…
नवरात्रि 9 देवी 9 आरत्या Shardiya Navratri
श्री गणेशाची आरती
सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नांची|
नुरवी; पुरवी प्रेम, कृपा जयाची |
सर्वांगी सुंदर, उटी शेंदुराची|
कंठी झळके माळ, मुक्ताफळांची॥१॥
जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ती|
दर्शनमात्रे मन कामना पुरती ॥धृ॥
रत्नखचित फरा, तुज गौरीकुमरा|
चंदनाची उटी , कुमकुम केशरा|
हिरेजडित मुकुट, शोभतो बरा |
रुणझुणती नूपुरे, चरणी घागरिया|
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती ॥२॥
लंबोदर पीतांबर, फणिवरबंधना |
सरळ सोंड, वक्रतुंड त्रिनयना|
दास रामाचा, वाट पाहे सदना|
संकटी पावावे, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना|
जय देव जय देव, जय मंगलमूर्ती|
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥३॥
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